Wednesday, February 21, 2018


Home Remedy for Insomnia – Banana tea

आपको जानकार हैरानी होगी के केला जो देखने में एक साधारण सा फल है, जिसके
वैसे तो अनेक गुण विद्यमान हैं, मगर आज Pharma Spl. Sh. Balbeer जी आपको
बताने जा रहें हैं इसका एक ऐसा प्रयोग जो उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद
है जो नींद ना आने की शिकायत हर रोज़ करते हैं. या नींद के लिए गोलियां
खाते हैं. तो आइये जानते हैं इस प्रयोग के बारे में.
नींद की गोली के साइड इफ़ेक्ट – Side Effects of Sleeping Pills. Sedative
And Hypnotic’s Side Effect

“फेफड़ों की एक प्रकार की समस्या के रोगियों के लिए बहुत ही हानिकारक है,
इसके नियमित सेवन करने से रोगी की जान तक जा सकती है.”

नींद की गोली 2 प्रकार की होती है, एक होती है Benzodiazepines और दूसरी
होती है Barbuturates. Benzodiazepines Addictive है, इसके सेवन करने की
रोजाना आदत पड जाती है, और Barbuturates हमारे केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र
को Depress कर देते हैं. और ये केमिकल का इस्तेमाल मरीज को किसी बड़े
ऑपरेशन करने से पहले Anaesthese अर्थात सुन्न करने के लिए किया जाता है,
Narco Test करते समय भी इसी केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है.  इनके सेवन
से Constipation कब्ज, Dizziness सुस्ती, Difficulty in Focusing and
remembering अर्थात याद दाश्त कमज़ोर हो जाती है, और अरुचि पैदा होती है.
पेट दर्द रहता है, कमजोरी, शरीर में Uncontrollable shaking पैदा होती
है. इसके लम्बे सेवन करने से Parasomnias नामक समस्या उत्पन्न हो जाती है
जिससे व्यक्ति में ऐसी भावना का निर्माण होता है के वो कुछ भी करेगा तो
उसको Realize नहीं करेगा, इसका नियमित सेवन Breathing Rhythm को कम करता
है जो के Asthma और COPD (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) फेफड़ों
की एक प्रकार की समस्या के रोगियों के लिए बहुत ही हानिकारक है, इसके
नियमित सेवन करने से रोगी की जान तक जा सकती है.
अब आइये जानते हैं नींद के लिए क्या है ये केले का रामबाण उपयोग – Banana tea

केले में मैग्नीशियम और पोटैशियम पाया जाता है, और ये केले के छिलके में
बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. मैग्नीशियम Sleep Disturbance को
रोकता है, पोटैशियम और मैग्नीशियम शरीर के मसल्स को रिलैक्स करवाते हैं.
जिस कारण से इसके नीचे दिए गए प्रकार से सेवन करने से बहुत अच्छी नींद
आती है.

इस प्रयोग को करने के लिए आपको चाहिए 2 केले और पानी ज़रूरत अनुसार

इसके साथ ये सामान Optional है. 1 गिलास दूध, और मिश्री 2 चम्मच अगर
मिश्री ना हो तो चीनी से काम चलायें, चुटकी भर दालचीनी स्वाद के लिए
(Optional). आइये अब जाने इसको तैयार करने की विधि.

सबसे पहले केलों को अच्छे से धुलाई कर लो, फिर उसको ऊपर नीचे दोनों तरफ
से काट लें. काटने के बाद इसको छिलके सहित छोटे छोटे टुकड़े कर लो  पानी
में 10 मिनट तक उबालें. उबालने के बाद आप इस पानी को छान लीजिये, ये पानी
आप सीधे ही पी सकते हैं या इसमें अगर मिश्री मिलाना चाहें तो वो भी मिला
सकते हैं, इसमें आप दूध और मिश्री और दालचीनी मिला कर दोबारा से गर्म
करके इसको पी सकते हैं.

ये ड्रिंक आपकी नींद ना आने की समस्या के लिए रामबाण साबित होगा.

आशा करते हैं के हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी, आप
अपने विचार यहाँ कमेंट में दे सकते हैं. धन्यवाद.
 लीवर की सूजन

प्यारे दोस्तों आज हम आपको लीवर की सूजन को दूर करने के लिए विशेष जूस के
बारे में बताएंगे यह जूस बहुत खास है 1 सप्ताह तक इसका सेवन करने से लीवर
की सूजन में आशातीत लाभ होता है तो आइए जानते हैं इस जूस के बारे में।
Liver ki sujan ka ilaj, fatty liver ka ilaj

इसके लिए ज़रूरी सामान

गाजर का रस –  एक कप

पालक का रस – एक कप

काली मिर्च – 1 ग्राम.

गाजर का रस एक छोटा गिलास और पालक का रस एक चाय का प्याला भर परस्पर
मिलाकर उसमें बहुत हल्का सा नमक व काली मिर्च डालकर पिए । इन दोनों रसों
का सेवन इतनी ही मात्रा में दिन में दोनों समय सुबह और शाम करें ।

इस जूस का सेवन सप्ताह में 3 दिन करे। इसके बाद ये नीचे लिखा हुआ जूस पियें.

गाजर और खीरे का जूस एक एक कप लीजिये, अभी इन दोनों के मिले-जुले रस का
प्रयोग सुबह शाम करें इसे भी दिन में दो बार लें इन रसों का सेवन
सूर्यास्त से पहले करने से लीवर की सूजन में लाभ होता है। ये प्रयोग
सप्ताह के 4 दिन करना है.

इस प्रकार से एक हफ्ता ये प्रयोग करने के बाद फिर से ३ दिन दोबारा पहला
प्रयोग और 4 दिन दूसरा प्रयोग करें. ऐसा करने से एक महीने के अन्दर आपका
लीवर बिलकुल हेल्थी होगा. और हाँ  लीवर की कैसी भी समस्या हो इसमें
निम्बू का बेहद अहम् रोल है. निम्बू का सेवन जितना ज्यादा हो सके इस रोग
में ज़रूर करना चाहिए. इसके साथ में अगर आप कुछ कर सकते हैं तो वो है भूमि
आंवला. भूमि आंवला का रस अक्सर बरसात में मिल जाता है, क्यूंकि भूमि
आंवला एक खरपतवार है, जो अक्सर ही खेतों में उग जाती है. इस सीजन में
इसके पंचांग अर्थात पुरे पौधे को जड़ समेत लेकर इसका जूस निकाल लीजिये, और
ये जूस पीने से हेपेटाइटिस a,b,c और Jaundice सभी में बहुत लाभ होता है.

आशा करते हैं के हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी, आपके
कमेंट हमारे लिए बहुत कीमती है, आप अपने सुझाव और सवाल यहाँ पूछ सकते
हैं. धन्यवाद.

त्रिफला आयुर्वेद की अमृत औषिधि ।
Trifla churn ke fayde, Trifla ke fayde, Trifla ayurved ki amrit aushidhi

हमारा शरीर तीन गुणों का बना हुआ है, आयुर्वेद में इन्हें वात, कफ और
पित्त कहा जाता है। जब ये गुण सही मात्रा एवं अनुपात में होते हैं तो हम
दैहिक, दैविक एवं भौतिक दुखों से दूर रहते हैं और जब इनका संतुलन ख़राब
हो जाता है तब ये तीनों प्रकार की परेशानियाँ हमें घेरने लगतीं हैं। वात,
कफ तथा पित्त को पुनः संतुलित कर के हम न केवल शारीरिक बीमारियों को दूर
कर सकते हैं बल्कि मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति भी कर सकते हैं। हाँ, यह
जानकार आपको विशेष ख़ुशी होगी कि आध्यात्मिक पथ पर उन्नति करने वालों को
विभिन्न सिद्धियाँ एवं शक्तियाँ सहज ही प्राप्त होती जाती हैं। गुणों के
संतुलन तो पुनः प्राप्त करने के लिए हमारे ऋषियों ने कई प्रकार के योग
बताये हैं। इन योगों को करने के लिए पर्याप्त मात्रा में श्रद्धा,
विश्वास तथा साधना की आवश्यकता होती है, जो कि माया से घिरे हुए सामान्य
व्यक्ति के लिए सहज नहीं है। अतः आयुर्वेद ने एक सरल एवं सहज उपाय बताया।
त्रिफला अर्थात तीन फल।
trifla matlab teen fal

हर्र(हरड़), बहेड़ा एवं आंवला वे तीन फल हैं, जिनका ठीक तरह से प्रयोग कर
हम वात, कफ एवं पित्त को पुनः संतुलित कर सकते हैं।  बचपन में सुना था कि
त्रिफला के प्रयोग के द्वारा सफ़ेद हुए बाल पुनः काले हो जाते हैं।
आधुनिक शिक्षा ने भले ही हमें कई लाभ दिए हों लेकिन दुर्भाग्य से हमारे
पुरातन ज्ञान को या तो नष्ट कर दिया है या फिर उसके चारों ओर अविश्वास का
ऐसा वातावरण बना दिया है कि कोई सहज में विश्वास करने के लिए तैयार नहीं
होता है। आधुनिक चिकित्सा शास्त्र मानता है कि जो बाल सफ़ेद हो गये हैं
वे पुनः काले नहीं हो सकते हैं। मैं काफी लम्बे समय से त्रिफला के प्रयोग
का वह सटीक तरीका ढूंढ रहा था जो कि इस आधुनिक विश्वास को जवाब दे सकता
हो। कुछ दिन पहले ही जब यह तलाश पूरी हुयी तो यह भी ज्ञात हुआ कि बाल
काले हो जाना तो त्रिफला का मात्र एक साइड इफेक्ट है, त्रिफला तो सचमुच
में एक जादुई औषधि है जो कि सर्व व्याधियों का हरण करती है, पूर्ण
स्वास्थ्य प्रदान करती है और साथ ही साथ आध्यात्मिक उन्नति भी करती है।
तो यह लेख त्रिफला के सटीक प्रयोग एवं उसके लाभों के विषय में है। समझदार
लोग इसका लाभ उठाएंगे। अधिक समझदार लोग अंग्रेजी पढेंगे। ध्यान रहे आप
स्वतंत्र हैं, कुछ भी कर सकते हैं।
त्रिफला बनाने की विधि:
trifla churn banane ki vidhi

त्रिफला बनाने के लिये आपको सूखे हुये बड़ी हरड़, बहेड़ा और आंवला
चाहिये। तीनों ही फल स्वच्छ एवं बिना कीड़े लगे होने चाहिये। इनकी गुठली
निकाल दें एवं बचे हुये भाग का अलग-अलग चूर्ण बना लें। बारीक छने हुये
तीनों प्रकार के चूर्णों को 1 : 2 : 4 के अनुपात में मिलायें। उदहारण के
लिये यदि 10 ग्राम हरड का चूर्ण लेते हैं तो उसमें 20 ग्राम बहेड़े का
चूर्ण और 40 ग्राम आंवले का चूर्ण मिलाएं। उत्तम परिणाम प्राप्त करने के
लिए इस अनुपात का ध्यान अवश्य रखें। एक बार में उतना ही चूर्ण तैयार करें
जितना कि 4 महीने चल जाये। क्योंकि 4 महीने से अधिक पुराने चूर्ण की
शक्ति क्षीण होने लगती है। बाज़ार में मिलने वाले बने बनाये चूर्ण पर
उचित अनुपात का विश्वास नहीं रहता है तथा वह या उसके कुछ घटक चार महीने
से अधिक पुराने हो सकते हैं। अतः चूर्ण घर पर बनाना ही श्रेष्ठ है।
त्रिफला खाने की विधि:
Trifla khane ki vidhi

किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति त्रिफला का सेवन कर सकता है। लेकिन एक
बात तय है कि बेड टी की आदत छोड़नी होगी। दरअसल पूर्ण लाभ के लिये प्रातः
सो के उठने के तुरंत बाद कुल्ला करके ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन
करना है। और फिर कम से कम एक घंटे तक किसी भी चीज का सेवन नहीं करना है।
केवल पानी पी सकते हैं। मात्रा का निर्धारण उम्र के अनुसार किया जायेगा।
जितने वर्ष की उम्र है उतने रत्ती त्रिफला का दिन में एक बार सेवन करना
है। 1 रत्ती = 0.12 ग्राम। उदहारण के लिए यदि उम्र 50 वर्ष है, तो 50 *
0.12 = 6.0 ग्राम त्रिफला एक बार में खाना है। त्रिफला का पूर्ण कल्प 12
वर्ष का होता है तो 12 वर्ष तक लगातार सेवन कर सकते हैं।
ऋतु अनुकूलन:

हमारे देश में दो दो महीने की छः ऋतुयें होतीं हैं। प्रत्येक ऋतु में
त्रिफला का अधिकाधिक लाभ संग्रहित करने के लिये शरीर का ऋतु के अनुकूल
ढलना बेहतर होता है। अतः ऋतू अनुसार अतिरिक्त लाभ के लिये त्रिफला में
अन्य चीजों को मिलाने का भी विधान है।

चैत्र, वैसाख – वसंत ऋतु – शहद से चाटना चाहिये।
ज्येष्ठ, आषाढ़ – ग्रीष्म ऋतू – त्रिफला का 1/4 भाग गुड़ मिलाकर खाना चाहिये।
सावन, भादों – वर्षा ऋतू – त्रिफला का 1/8 भाग सेंधा नमक मिलाना चाहिये।
आश्विन, कार्तिक – शरद ऋतू – त्रिफला का 1/6 भाग देशी खांड के साथ खाना चाहिये।
अगहन, पौष – हेमंत ऋतू – त्रिफला का 1/6 भाग सौंठ का चूर्ण मिलाना चाहिये।
माघ, फाल्गुन – शिशिर ऋतू – त्रिफला का 1/8 भाग छोटी पीपल का चूर्ण मिलाना चाहिये।
त्रिफला के लाभ: Trifla ke labh

प्रथम वर्ष तन सुस्ती जाय। द्वितीय रोग सर्व मिट जाय।।
तृतीय नैन बहु ज्योति समावे। चतुर्थे सुन्दरताई आवे।।
पंचम वर्ष बुद्धि अधिकाई। षष्ठम महाबली हो जाई।।
श्वेत केश श्याम होय सप्तम। वृद्ध तन तरुण होई पुनि अष्टम।।
दिन में तारे देखें सही। नवम वर्ष फल अस्तुत कही।।
दशम शारदा कंठ विराजे। अन्धकार हिरदै का भाजे।।
जो एकादश द्वादश खाये। ताको वचन सिद्ध हो जाये।।
व्यक्तिगत सलाह:

विकारों (toxins) को शरीर से बाहर निकालना स्वास्थ्य प्राप्त करने का
प्रथम सूत्र है। अतः त्रिफला सेवन प्रारंभ करने पर कुछ दिनों तक दिन में
एक या दो बार पतले दस्त आना सामान्य बात है। अतः इसके लिये तैयार भी
रहें। जैसे ही शरीर के विकार दूर होने लगेंगे दस्त आना भी बंद हो
जायेंगे। कई बार व्यस्तता के कारण लोग इसके लिये तैयार नहीं होते हैं।
दूसरी और त्रिफला में आंवला की मात्रा अधिक होने के कारण इसका प्रभाव
ठंडा होता है। यह स्थिति भी कई लोगों को असहज लग सकती है। अतः उम्र के
अनुसार जो भी मात्रा आप को लेनी चाहिये उसकी आधी मात्रा से प्रारंभ करना
आसान हो सकता है। धीरे धीरे मात्रा बढ़ाते हुये एक महीने के अन्दर अपनी
पूर्ण खुराक तक पहुँचना व्यवहारिक रहेगा। लेकिन सुबह सुबह खाली पेट सेवन
एवं एक से दो घंटे तक ताजे पानी की अतिरिक्त और कुछ भी सेवन न करने के
नियम का कठोरता से पालन अति आवश्यक है।

Tuesday, February 20, 2018

योग हमारी आंतरिक शक्ति को सक्रिय करने के लिए एक संपूर्ण माध्यम है और यह सर्वोच्च आत्मा को समझने के लिए भावना को बढ़ाने में मदद करता है। हमारे महान प्राचीन ऋषि और मुनियों ने हमें विभिन्न प्रकार की योग क्रियाओं (क्रियाओं) को छोड़ दिया है। योग एक लंबा अभ्यास है जो हमारे मुनियों और ऋषियों द्वारा अभ्यास किया गया था और यह वास्तविक अभ्यास पर आधारित निष्कर्ष है। ये अभ्यास हमारे शरीर और इसकी संरचनाओं और हमारी आत्मा के संबंध में वैज्ञानिक हैं। यहां मैंने विभिन्न योग प्रथाओं का उल्लेख किया है जो छिपे हुए विकसित होंगे मानव शरीर और आत्मा की इंद्रियां। और यह हमें नई कोशिकाओं, ऊतकों को विकसित करने में भी मदद करता है, और हमारे शरीर पर मांसपेशियों को मजबूत करता है और हमारे दिमाग को शांत करता है और अंत में योग आपको मोक्ष प्राप्त करने में सक्षम बनाता है या आप सर्वोच्च आत्मा का अनुभव कर सकते हैं।
सभी आसन और मुद्राएं मांसपेशियों को मजबूत करके, शरीर को आराम देकर और शरीर के ऊतकों में रुकावटों को खोलकर और रक्त परिसंचरण के लिए मानव शरीर की मदद करेंगी। योग ज्ठराग्नि (आंत और पेट की गर्मी) को बनाए रखने में मदद करता है। योग हमें नियंत्रित करने में मदद करता है। मधुमेह और गुर्दे को रक्त परिसंचरण प्रदान करके और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर स्वस्थ बनाता है।
प्राणायाम उचित शुद्ध हवा प्रदान करके फेफड़ों की शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे त्वचा, अस्थमा आदि की एलर्जी को दूर करने में मदद मिलती है।
योग के नियम मानव शरीर के समग्र विकास को विकसित करते हैं। केवल आधा अभ्यास या योग का कोई वैकल्पिक अभ्यास भी हमें बीमारियों से दूर रखने में मदद कर सकता है। नियमित रूप से योग का अभ्यास करके मनुष्य स्वस्थ सक्रिय और लंबे समय तक जीवित रह सकता है। योग न केवल हमें बनाता है भौतिक शरीर स्वस्थ है लेकिन हमारे आंतरिक शरीर, चुंबकीय क्षेत्र या सुषमा सरिर को भी सक्रिय बनाता है।
योग मन और भावना को नियंत्रित कर सकता है और अंत में मुक्ति मिल सकती है।
''तस्मास्त्रियाबिधानेन करतब्य योगी पुंगाबाई;
यद्रिच्यालवसंतुष्ठ: संतयक्तवंतरसंग्यक;
ग्रिस्थस्चप्यनास्तका: स मुक्ति योगसाधनात: ''''
                                                                                                …….शिव संहिता ५/२५१
अर्थ:-
योग क्रियाविधि के अनुसार योग करना हमारा कर्तव्य है,
जो अपने पास से संतुष्ट है, जिसने अपनी इंद्रियों को वश में कर लिया है, जो परिवार में है लेकिन आसक्त भी नहीं है, वह मोक्ष प्राप्त करेगा।
इसलिए यदि कोई अपने नियम-कानून के साथ योग का अभ्यास करता है तो वह अधिक आकर्षक, हर्षित, शक्तिशाली, बुद्धिमान और अंत में त्रिगुण (सत्, रज्ज, तम) से दूर हो जाएगा और सर्वोच्च आत्मा में विलीन हो जाएगा।
;;; तड़ा दृष्टिः स्वरूपेबस्थानम''
                                                                ……………पतंजलि योग दर्शन -3
योग मन की सभी भावनाओं को नियंत्रित करता है और आत्मा को परमात्मा से जुड़ जाता है। किस अवस्था को मोक्ष कहते हैं।

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